* Heartfelt greetings and best wishes to all the people of New Year 2021. May the new year bring health and prosperity to your life and may you and your family be auspicious and happy. * Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 02, 2021 Read more
❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️💞🌹💞🌹💞🌹💞🌹💞🌹💞🌹💞क्या करूँ अर्पण आपको…मेरे श्याम……गई थी पुष्प लेने…जैसे ही छुआ……एक सिहरन सी हुई…क्यों तोड़ने लगी हूँ……ये तो आपकी ही कृति है…आपकी ही महक इसमें…मेरे सरकार……आपकी वस्तु आपको कैसे दूँ…फिर सोचती हूँ…क्या अर्पण करूँ…मेरे घनश्याम……ये मन…ये तो सबसे मलिन है……अवगुणों से भरा हुआ…जिसमे कुछ रिक्त नहीं…छल कपट भरे पड़े…प्रेम कहाँ रखूँगी आपका नहीं नहीं……ये कपटी मन योग्य नहीं…आपको अर्पण करने को……तो क्या अर्पण करूँ…मेरे गोविन्द…अश्रु धारा निकल पड़ी…ये अश्रु भी धोखा हैं……प्रेम के नहीं…ये तो अपने सुख के अभाव में निकले……आपकी याद में आते तो…यही अर्पण कर देती……पर नहीं…ये भी झूठे है……क्या अर्पण करूँ…सब मलिन हैक्या अर्पण करूँ…मेरे साँवरे……मेरी आत्मा…???…ये तो नित्य आपकी दासी है…ये तो आपसे ही आई है…आपकी ही हेजय हो मेरे राधारमण की 🙏🙏🌹🙏🙏 #मधुस्नेहा,,।।🌹✍️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️🌼🌼ठाकुर जी को ताता खानी🌼🌼 ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर थाली एक और रख दई तो अब भगवान बोले की बाबा हमे और कछु नहीं खानो , ये खवाओ ये कहा है ? हम ये खाएंगे तो नन्द बाबा डराने लगे की नाय-नाय लाला ये तो ताता है। तेरो मुँह जल जाओगो तो भगवान बोले नाय बाबा अब तो ये ही खानो है मोय खूब ब्रजरानी यशोदा को बाबा ने डाँटो की मेहर तुम ये क्यों लेकर आई ? तुमको मालूम है ये बड़ो जिद्दी है , ये मानवो वारो नाय फिर भी तुम लेकर आ गई।अब गलती हो गई ठाकुर जी मचल गए बोले अब बाकी भोजन पीछे होगा पहले ये ताता ही खानी है मुझे , पहले ये खवाओ । बाबा पकड़ रहे थे , रोक रहे थे पर इतने में तो उछलकर थाली के निकट पहुंचे और अपने हाथ से उठाकर मिर्च खा ली और अब ताता ही हो गई वास्तव में , ताता भी नहीं ” ता था थई ” हो गई। अब महाराज भागे डोले फिरे सारे नन्द भवन में बाबा मेरो मो जर गयो , बाबा मेरो मो जर गयो , मो में आग लग गई मेरे तो बाबा कछु करो और पीछे-पीछे ब्रजरानी यशोदा , नन्द बाबा भाग रहे है हाय-हाय हमारे लाला को मिर्च लग गई , हमारे कन्हिया को मिर्च लग गई। महाराज पकड़ा है प्रभु को और इस लीला को आप पढ़ो मत बल्कि देखो ।गोदी में लेकर नन्द बाबा रो रहे है अरी यशोदा चीनी लेकर आ मेरे लाला के मुख ते लगा और इतना ही नहीं बालकृष्ण के मुख में नन्द बाबा फूँक मार रहे है। आप सोचो क्या ये सोभाग्य किसी को मिलेगा ? जैसे बच्चे को कुछ लग जाती है तो हम फूँक मारते है बेटा ठीक हे जाएगी वैसे ही बाल कृष्ण के मुख में बाबा नन्द फूँक मार रहे है। देवता जब ऊपर से ये दृश्य देखते है तो देवता रो पड़ते है और कहते है की प्यारे ऐसा सुख तो कभी स्वपन में भी हमको नहीं मिला जो इन ब्रजवासियो को मिल रहा है तो आगे यदि जन्म देना तो इन ब्रजवासियो के घर का नोकर बना देना , यदि इनकी सेवा भी हमको मिल गई तो देवता कहते है हम धन्य हो जाएंगे।🥀🥀 जय श्री नंदलाल 🥀🥀❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️. श्री श्रीचैतन्य चरित्रावली पोस्ट - 054 द्विविध-भाव भगवद्भावेन यः शश्वद्भक्तभावेन चैव तत्। भक्तानानन्दयते नित्यं तं चैतन्यं नमाम्यहम्॥ प्रत्येक प्राणी की भावना विभिन्न प्रकार की होती है। अरण्य में खिले हुए जिस मालती के पुष्प को देखकर सहृदय कवि आनन्द में विभोर होकर उछलने और नृत्य करने लगता है, जिस पुष्प में वह विश्व के सम्पूर्ण सौन्दर्य का अनुभव करने लगता है, उसको ग्राम के चरवाहे रोज देखते हैं, उस ओर उनकी दृष्टि तक नहीं जाती। उनके लिये उस पुष्प का अस्तित्व उतना ही है, जितना कि रास्ते में पड़ी हुई काठ, पत्थर तथा अन्य सामान्य वस्तुओं का। वे उस पुष्प में किसी भी प्रकार की विशेष भावना का आरोप नहीं करते। असल में यह प्राणी भावमय है। जिसमें जैसे भाव होंगे उसे उस वस्तु में वे ही भाव दृष्टिगोचर होंगे। इसी भाव को लेकर तो गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है- जिन्ह कें रही भावना जैसी। प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी॥ महाप्रभु के शरीर में भी भक्त अपनी-अपनी भावना के अनुसार नाना रूपों के दर्शन करने लगे। कोई तो प्रभु को वराह के रूप में देखता, कोई उनके शरीर में नृसिंहरूप के दर्शन करता, कोई वामनभाव का अध्यारोप करता। किसी को प्रभु की मूर्ति श्यामसुन्दर रूप में दिखायी देती, किसी को षड्भुजी मूर्ति के दर्शन होते। कोई प्रभु के इस शरीर को न देखकर उन्हें चतुर्भुजरूप से देखता और उनके चारों हस्तों में उसे प्रत्यक्ष शंख, चक्र, गदा और पद्म दिखायी देते। इस प्रकार एक ही प्रभु के श्रीविग्रह को भक्त भिन्न-भिन्न प्रकार से देखने लगे। जिसे प्रभु के चतुर्भुजरूप के दर्शन होते, उसे ही प्रभु की चारों भुजाएँ दीखतीं, अन्य लोगों को वही उनका सामान्य रूप दिखायी देता। जिसे प्रभु का शरीर ज्योतिर्मय दिखायी देता और प्रकाश के अतिरिक्त उसे प्रभु की और मूर्ति दिखायी ही नहीं देती, उसी की आँखों में वह प्रकाश छा जाता, साधारणतः सामान्य लोगों को वह प्रकाश नहीं दीखता, उन लोगों को प्रभु के उसी गौररूप के दर्शन होते रहते। सामान्यतया प्रभु के शरीर में भगवत-भाव और भक्त-भाव ये दो ही भाव भक्तों को दृष्टिगोचर होते। जब इन्हें भगवत-भाव होता, तब ये अपने-आपको बिलकुल भूल जाते, निःसंकोच-भाव से देवमूर्तियों को हटकर स्वयं भगवान के सिंहासन पर विराजमान हो जाते और अपने को भगवान कहने लगते। उस अवस्था में भक्तवृन्द उनकी भगवान की तरह विधिवत पूजा करते, इनके चरणों को गंगा-जल से धोते, पैरों पर पुष्प-चन्दन तथा तुलसीपत्र चढ़ाते। भाँति-भाँति के उपहार इनके सामने रखते। उस समय ये इन कामों में कुछ भी आपत्ति नहीं करते, यही नहीं, किंतु बड़ी ही प्रसन्नतापूर्वक भक्तों की की हुई पूजा को ग्रहण करते और उनसे आशीर्वाद माँगने का भी आग्रह करते और उन्हें इच्छानुसार वरदान भी देते। यही बात नहीं कि ऐसा भाव इन्हें भगवान का ही आवे, नाना देवी-देवताओं का भाव भी आ जाता था। कभी तो बलदेव के भाव में लाल-लाल आँखें करके जोरों से हुंकार करते और ‘मदिरा-मदिरा’ कहकर शराब माँगते, कभी इन्द्र के आवेश में आकर वज्र को घुमाने लगते। कभी सुदर्शन-चक्र का आह्वान करने लगते। एक दिन एक जोगी बड़े ही सुमधुर स्वर से डमरू बजाकर शिव जी के गीत गा-गाकर भिक्षा माँग रहा था। भीख माँगते-माँगते वह इनके भी घर आया। शिवजी के गीतों को सुनकर इन्हें महादेव जी का भाव आ गया और अपनी लटों को बखेरकर शिव जी के भाव में उस गाने वाले के कन्धे पर चढ़ गये और जोरों के साथ कहने लगे- ‘मैं ही शिव हूँ, मैं ही शिव हूँ। तुम वरदान माँगो, मैं तुम्हारी स्तुति से बहुत प्रसन्न हूँ।’ थोड़ी देर के अनन्तर जब इनका वह भाव समाप्त हो गया तो कुछ अचेतन-से होकर उसके कन्धे पर से उतर पड़े और उसे यथेच्छ भिक्षा देकर विदा किया। इस प्रकार भक्तों को अपनी-अपनी भावना के अनुसार नाना रूपों के दर्शन होने लगे और इन्हें भी विभिन्न देवी-देवताओं तथा परम भक्तों के भाव आने लगे। जब वह भाव शान्त हो जाता, तब ये उस भाव में कही हुई सभी बातों को एकदम भूल जाते और एकदम दीन-हीन विनम्र भक्त की भाँति आचरण करने लगते। तब इनका दीन-भाव पत्थर-से-पत्थर हृदय को भी पिघलाने वाला होता। उस समय ये अपने को अत्यन्त ही दीन, अधम और तुच्छ बताकर जोरों के साथ रुदन करते। भक्तों का आलिंगन करके फूट-फूटकर रोने लगते और रोते-रोते कहते- ‘श्रीकृष्ण कहाँ चले गये? भैयाओ! मुझे श्रीकृष्ण से मिलाकर मेरे प्राणों को शीतल कर दो। मेरी विरह-वेदना को श्रीकृष्ण का पता बताकर शान्ति प्रदान करो। मेरा मोहन मुझे बिलखता छोड़कर कहाँ चला गया?’ इसी प्रकार प्रेम में विह्वल होकर अद्वैताचार्य आदि वृद्ध भक्तों के पैरों को पकड़ लेते और उनके पैरों में अपना माथा रगड़ने लगते। सबको बार-बार प्रणाम करते। यदि उस समय इनकी कोई पूजा करने का प्रयत्न करता अथवा इन्हें भगवान कह देता तो ये दुःखी होकर गंगा जी में कूदने के लिये दौड़ते। इसीलिये इनकी साधारण दशा में न तो इनकी कोई पूजा ही करता और न इन्हें भगवान ही कहता। वैसे भक्तों के मन में सदा एक ही भाव रहता। जब ये साधारण भाव में रहते, तब एक अमानी भक्त के समान श्रद्धा-भक्ति के सहित गंगाजी को साष्टांग प्रणाम करते, गंगाजल का आचमन करते, ठाकुर जी का विधिवत पूजन करते तथा तुलसी जी को जल चढ़ाते और उनकी भक्तिभाव से प्रदक्षिणा करते। भगवत-भाव में इन सभी बातों को भुलाकर स्वयं ईश्वरीय आचरण करने लगते। भावावेश के अनन्तर यदि इनसे कोई कुछ पूछता तो बड़ी ही दीनता के साथ उत्तर देते- ‘भैया! हमें कुछ पता नहीं कि हम अचेतनावस्था में न जाने क्या-क्या बक गये। आप लोग इन बातों का कुछ बुरा न मानें। हमारे अपराधों को क्षमा ही करते रहें, ऐसा आशीर्वाद दें, जिससे अचेतनावस्था में भी हमारे मुख से कोई ऐसी बात न निकलने पावे जिसके कारण हम आपके तथा श्रीकृष्ण के सम्मुख अपराधी बनें।’ संकीर्तन में भी ये दो भावों से नृत्य करते। कभी तो भक्त-भाव से बड़ी ही सरलता के साथ नृत्य करते। उस समय का इनका नृत्य बड़ा ही मधुर होता। भक्तभाव में ये संकीर्तन करते-करते भक्तों की चरण-धूलि सिर पर चढ़ाते और उन्हें बार-बार प्रणाम करते। बीच-बीच में पछाड़ें खा-खाकर गिर पड़ते। कभी-कभी तो इतने जोरों के साथ गिरते कि सभी भक्त इनकी दशा देखकर घबड़ा जाते थे। शचीमाता तो कभी इन्हें इस प्रकार पछाड़ खाकर गिरते देख परम अधीर हो जातीं और रोते-रोते भगवान से प्रार्थना करतीं कि ‘हे अशरण-शरण! मेरे निमाई को इतना दुःख मत दो।’ इसीलिये सभी भक्त संकीर्तन के समय इनकी बड़ी देख-रेख रखते और इन्हें चारों ओर से पकड़े रहते कि कहीं मूर्च्छित होकर गिर न पड़ें। कभी-कभी ये भावावेश में आकर भी संकीर्तन करने लगते। तब इनका नृत्य बड़ा ही अद्भुत और अलौकिक होता था, उस समय इन्हें स्पर्श करने की भक्तों को हिम्मत नहीं होती थी, ये नृत्य के समय में जोरों से हुंकार करने लगते। इनकी हुंकार से दिशाएँ गूँजने लगतीं और पदाघात से पृथ्वी हिलने-सी लगती। उस समय सभी कीर्तन करने वाले भक्त विस्मित होकर एक प्रकार के आकर्षण में खिंचे हुए-से मन्त्र-मुग्ध की भाँति सभी क्रियाओं को करते रहते। उन्हें बाह्यज्ञान बिलकुल रहता नहीं था। उस नृत्य से सभी को बड़ा ही आनन्द प्राप्त होता था। इस प्रकार कभी-कभी तो नृत्य-संकीर्तन करते-करते पूरी रात्रि बीत जाती और खूब दिन भी निकल आता तो भी संकीर्तन समाप्त नहीं होता था। एक-एक करके बहुत-से भावुक भक्त नवद्वीप में आ-आकर वास करने लगे और श्रीवास के घर संकीर्तन में आकर सम्मिलित होने लगे। धीरे-धीरे भक्तों का एक अच्छा खासा परिकर बन गया। इनमें अद्वैताचार्य, नित्यानन्द प्रभु और हरिदास- ये तीन प्रधान भक्त समझे जाते थे। वैसे तो सभी प्रधान थे, भक्तों में प्रधान-अप्रधान भी क्या? किंतु ये तीनों सर्वस्वत्यागी, परम विरक्त और महाप्रभु के बहुत ही अन्तरंग भक्त थे। श्रीवास को छोड़कर इन्हीं तीनों पर प्रभु की अत्यन्त कृपा थी। इनके ही द्वारा वे अपना सब काम कराना चाहते थे। इनमें से श्रीअद्वैताचार्य और अवधूत नित्यानन्द जी का सामान्य परिचय तो पाठकों को प्राप्त हो ही चुका है। अब भक्ताग्रगण्य श्रीहरिदास का संक्षिप्त परिचय तो पाठकों को अगले अध्यायों में मिलेगा। इन महाभागवत वैष्णवशिरोमणि भक्त ने नाम-जप का जितना माहात्म्य प्रकट किया है, उतना भगवन्नाम का माहात्म्य किसी ने प्रकट नहीं किया। इन्हें भगवन्नाम-माहात्म्य का सजीव अवतार ही समझना चाहिये। श्रीकृष्ण! गोविन्द! हरे मुरारे! हे नाथ! नारायण! वासुदेव! ----------:::×:::---------- - प्रभुदत्त ब्रह्मचारी श्री श्रीचैतन्य चरित्रावली (123) गीताप्रेस (गोरखपुर) "जय जय श्री राधे"******************************************* "श्रीजी की चरण सेवा" की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें तथा अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें👇by Vnita Kasnia Punjab ❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️मेरे कान्हा❤तुझे क्या पता "तेरे इन्तजार" में हमने कैसे वक़्त गुजारा है एक बार नहीं हजारों बार "तेरी तस्वीर" को निहारा है❤💚❤❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️❤️जय श्री कृष्ण❤️, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 02, 2021 Read more
सिया राम के काज सवार दानव दल चुन चुन के मारे, कोई न इनसा है बलवान शक्तिमान हनुमान, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय बाला जी हनुमान जय जय बालाजी हनुमान, रघुवर से सुग्रीव मिलाये सीता माँ की सुध ये लाये, सारे दानव मार गिराए लंका को धु धु ये जलाये, खतरों से कभी न हारे ऐसे है ये राम के प्यारे, लखा है राम जी मान हनुमान हनुमान, जय बाला जी हनुमान जय जय बालाजी हनुमान, लक्ष्मण मुर्षित हुए यो रन में लाये संजीवनी ये तो पल में, अहिरावण को मार गिराया कैद से राम लखन को छुड़ाया, राम ने अपने गले लगाया भाई भरत सा इनको बताया, मुख से है जपते माला राम राम राम, जय बाला जी हनुमान जय जय बालाजी हनुमान, हनुमंत राम का बंधन पावन भगति और मुक्ति का संगम, राम से है हनुमान जी चलते हनुमत बिन श्री राम न मिलते, दोनों ही है तारण हारे भव से नैया पार उतारे करते है मुश्किल हर आसान हनुमान, जय बाला जी हनुमान जय जय बालाजी हनुमान, , Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
तुम्हारी जय हो वीर हनुमान, ओ राम दूत मत वाले हो बड़े दिल वाले जगत में ऊंची तुम्हारी शान , By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब तुम्हारी जय हो वीर हनुमान, भूख लगी तो समज के फल सूरज को मुख में डाला, अन्धकार फैला श्रिस्ति में हाहाकार विकराला, आन करि विनती देवो ने विपदा को किया निवार, तुम्हारी जय हो वीर हनुमान, सोने की लंका को जला कर रख का ढेर बनाया, तहस मेहस बगियन कर दी अक्षय को मार गिराया, लाये संजीवन भुटटी बचाई भाई लखन की जान, तुम्हारी जय हो वीर हनुमान, रोम रोम में राम रमे बस राम भजन ही भाये, सरल तुम्हारा भजन करे जो संकट उस के मिटाये, तेल सिंधुर चढ़ाये जो लखा दिया अबे का दान, तुम्हारी जय हो वीर हनुमान,, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
शिव शंकर तेरी भक्ति का नशा है मुझे By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भक्ति का नशा है, भोले नाथ तेरी भक्ति का नशा है तेरी भक्ति का नशा है, दुनिया को भूल आई तेरे चरणों में भोले तेरे चरणों में, ॐ नमः शिवाये भोले ॐ नमः शिवाये, बाबा तेरे चरणों में बेठे रहेगे, भोले तेरा प्यार हम पाके रहेगे, जब तक तू नही माने गा शम्भू मनाते रहेगे, ॐ नमः शिवाये भोले ॐ नमः शिवाये, जिसने भी बाबा तेरा ध्यान धरा है भोले ध्यान धरा, संसार में उसका मान बड़ा है मान बड़ा है, के मैंने भी बाबा तेरा दर पकड़ा है दर पकड़ा है, ॐ नमः शिवाये भोले ॐ नमः शिवाये, , Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
सवालिया सरकार बेगा आओ, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब थारी है दरकार बेगा आओ, कब सु करा पुकार न बिसराओ, सवालिया सरकार बेगा आओ, तेरी किरपा से तेरे भजन मिल गये, मेरे जीवन में लाखो सुमन खिल गये, करू थारी मनुहार बाबा करके थोड़ा विचार बेगा आओ, थारी है दरकार बेगा आओ, तेरी पूजा समझकर झुकाई गर्दन, अब बारी तुम्हारी मिटा दे उल्जन, करू थारी जय जय कार बाबा करके थोड़ा विचार बेगा आओ, थारी है दरकार बेगा आओ, रोज कहने में मुझको तो आती है शर्म, लाज दोनों की गिरवी पड़ी है बाबा सुन, नंदू पर था दारम दार बाबा करके थोड़ा विचार बेगा आओ, थारी है दरकार बेगा आओ, , Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
🙏आज का विचार 🙏 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कर्तव्य ही ऐसा आदर्श है, जो कभी धोखा नहीं दे सकता और धैर्य एक ऐसा कड़वा पौधा है, जिस पर फल हमेशा मीठे आते है.... 🙏शुभ प्रभात 🙏 🙏🏻 good morning 🙏🏻, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
🙏आज का विचार 🙏 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सब को इकठ्ठा रखने की ताकत *प्रेम में है* *ओर* *सब को अलग* *करने की ताकत* *भ्रम में है।* *कभी भी मन में भ्रम ना पाले* सदा मुस्कराते रहिये 🌹हँसते रहिये हंसाते रहिये 🌹 🙏शुभ प्रभात 🙏,, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
🙏 जय श्री राधेकृष्ण 🙏 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जिसकी सोच मेंआत्मविश्वास की महक हैजिसके इरादों में हौसले की मिठास है.... और जिसकी नीयत में सच्चाई का स्वाद है.....उसकी पूरी जिन्दगी महकता हुआ " गुलाब " है . प्यारी-सी सुबह का प्यारा-सा नमस्कार🌺 सुप्रभात 🌺🌷🌷good morning 🌷🌷 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
बारिश की बूंदे. भले हो छोटी हो लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता हैं, वैसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास भी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं..!! By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌸शुभ प्रभात🌸🙏🌸, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more
क्या मांगू घनश्याम मैं तुमसे क्या मांगू रोम रोम में रम जाओ और मैं तुमसे क्या मांगू क्या मांगू घनश्याम मैं तुमसे क्या मांगू By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब धन ना मांगू प्रभु मान ना मांगू झूठी जाग की शान ना मांगू देना हो तो देदो प्यारे जपने को हरी नाम रे क्या मांगू घनश्याम मैं तुमसे क्या मांगू हे मनमोहन हे गिरधारी, पार करो प्रभु नाव हमारी, जहा भी तेरा दर्शन पाउ, वही वसे सुख धाम रे, क्या मांगू घनश्याम मैं तुमसे क्या मांगू अब तो सुन लो अर्ज़ हमारी, दर्शन दे दो बांके बिहारी, पग पग पर मैं ठोकर खाऊ, सुनलो हे मेरे श्याम रे, क्या मांगू घनश्याम मैं तुमसे क्या मांगू, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps January 01, 2021 Read more