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Showing posts from December, 2020

*2 मिनट अपनी संस्कृति की झलक को पढ़े। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ◆,1 जनवरी को क्या नया हो रहा है?◆न ऋतू बदली ...न मौसम!◆न कक्षा बदली... न सत्र!◆न फसल बदली...न खेती!◆न पेड़ पोधों की रंगत!◆न सूर्य चाँद सितारों की दिशा!◆ना ही नक्षत्र!!◆1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं।मानो कितना बड़ा पर्व है।◆नया एक दिन का नही होता कुछ दिन तो नई अनुभूति होंनी ही चाहिए। हमारा देश त्योहारों का देश है।ईस्वी संवत का नया साल 1जनवरी को और भारतीय नववर्ष ( विक्रमी संवत)चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर।1- *प्रकृति*1जनवरी कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी। चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं।चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।2- *वस्त्र*दिसम्बर और जनवरी में व्ही उनी वस्त्र।कंबल रजाई ठिठुरते हाथ पैर चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है ।3- *विद्यालयो का नया सत्र*दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नही। जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।4- *नया वित्तीय वर्ष*दिसम्बर जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती। जबकि 31 मार्च को बैंको की(audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है।सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।5- *कलैण्डर*जनवरी में नया कलैण्डर आता है। चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं ।इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्व पूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।6- *किसानो का नया साल*दिसंबर जनवरी में खेतो में व्ही फसल होती हैजबकि मार्च अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष का उतसाह ।7- *पर्व मनाने की विधि*31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है ,रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी बारदात,पुलिस प्रशासन बेहाल,और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है।शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।8- ऐतिहासिक महत्त्व1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही हैजबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत भगवान झूलेलाल का जन्म।नवरात्रे प्रारंम्भ,ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, इत्यादि का संबंध इस दिन से है।अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला....अपना नव संवत् ही नया साल है।जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा,मौसम,फसल,कक्षा,नक्षत्र,पौधों की नई पत्तिया,किसान की नई फसल,विद्यार्थी की नई कक्षा,मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है।*अपनी मानसिकता को बदले।**विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने।**स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष केबल कैलेंडर बदलें। अपनी संस्कृति नही।**आओ जगे जगाये**भारतीय संस्कृति अपनाये* ।। जय श्री राधे जी ।।,

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बजरंगबली मेरी नाव चली, करुना कर पार लगा देना। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🙏हे महावीरा हर लो पीरा, सत्माराग मोहे दिखा देना।।🙏दुखों के बादल गिर आयें, लहरों मे हम डूबे जाएँ।🙏हनुमत लाला, तू ही रखवाला, दीनो को आज बचा लेना।।🙏सुख देवनहारा नाम तेरा, पग पग पर सहारा नाम तेरा।🙏भव भयहारी, हे हितकारी, कष्टों से आज छुड़ा देना।।🙏हे अमरदेव, हे बलवंता, तुझे पूजे मुनिवर सब संता।🙏संकट हारना लागे शरणा, श्री राम से मोहे मिला देना।।🙏,

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*💕मेरा श्याम मेरी जिंदगी💕* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤भरोसा मुझे श्याम का,बिगड़ी मेरी बना देता,जब भी लडखडाऊँ,आके मेरा हाथ थाम लेतादेख रहा है सारा ज़माना,. श्याम तेरी मेरी यारी है,मैं तो आई कितनी बार तेरे घर,आजा प्यारे अब तो तेरी बारी है ।।…❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🌹🌿*🙏जय श्री श्याम जी🙏🌿*🌹,

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जो आये शरण तिहारी,विपदा मिट जाये सारी.by Vnita kasnia Punjab .हम सब पर कृपा रखना,ओ जगत के पालनहारी..मैं आरती तेरी गाऊँ,ओ केशव कुंजबिहारी..मैं नित नित शीश नवाऊँ,ओ मोहन कृष्ण मुरारी.......✍️*🙏 जय श्री कृष्णा जी 🙏*,

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2020: तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र क्यों है भगवान शिव को इतना प्रिय🕉️ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🙏🏻 शिव को प्रिय है बिल्व पत्रभगवान शिव की पूजा में यूं तो कई चीजों का उपयोग किया जाता है लेकिन कहा जाता है कि अगर शिव को अर्पित करने के लिए आपके पास कुछ भी न हो तो सिर्फ एक बेल की पत्ती चढ़ा देने मात्र से ही शिव प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन अगर सारी सामाग्री भी हो और बिल्व पत्र न हो तो भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है तो आखिर शिव को क्यों इतना प्रिय है बिल्व पत्र, जानते हैं...बेलवृक्ष के नीचे शिवलिंग रखकर पूजा करने से घर में सुख,समृद्धि आती हैमहादेव को आशुतोष भी कहा गया है क्योंकि वे केवल एक बिल्व पत्र चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते है। बिल्व पत्र में तीन पत्तियां होती है जिन्हें तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक मानते हैं। इस कारण भी बिल्व पत्र का विशेष महत्व है। कई पुराणो में इसकी महिमा बताई गई है तो वहीं शिव पुराण में भी इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। शिवपुराण के अनुसार बिल्वपत्र स्वयं भगवान शिव का प्रतीक है। जो लोग बेल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग रखकर पूजन करता है, तो उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि रहती है।बिल्वपत्र का महत्वपौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्रमंथन के समय शिव जी ने हलाहल विष का पान किया था तब उनके कंठ की जलन को शांत करने के लिए बिल्व पत्र अर्पण किया गया था। ताकि विष का असर कम हो जाए। कहा जाता है कि तभी से शिव को बिल्व पत्र चढ़ाया जाता है। बिल्व पत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का भी प्रतीक हैं। इसलिए भी इसका बहुत महत्व है। बिल्व पत्र चढ़ाने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं। कैसे हुई बिल्वपत्र की उत्पत्तिस्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के ललाट की पसीने की बूंदो से हुई। एक बार माता पार्वती ने अपने ललाट से पसीने के पोंछकर फेंका तो कुछ बूंदे मंदार पर्वत पर जा गिरी। कहा जाता है कि उन्हीं से बेलवृक्ष की उत्पत्ति हुई। बेल के वृक्ष की जड़ में देवी गिरिजा, तने में महेश्वरी, पत्तियों में माता पार्वती, टहनियों में दक्षयायनी,फूलों में गौरी तो वहीं फलों में मां कात्यायनी निवास करती हैं। बिल्व पत्र चढ़ाने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं। बिल्व पत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें'त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम।अर्थात् हे तीन गुणों तीन नेत्र, त्रिशूल को धारण करने वाले शिव जी में आपको तीन जन्मों के पापों का संहार करने वाले शिव में आपको बिल्वपत्र अर्पित करता हूं। बिल्व पत्र को तोड़ने का नियमबिल्व पत्र को तोड़ने से पहले भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। बिल्व पत्र को कभी टहनियों सहित न तोड़े। चतुर्थी,नवमी, अष्टमी, चतुर्दशी,और अमावस्या तिथि को बिल्वपत्र तोड़ना वर्जित होता है। संक्रांंति और सोमवार के दिन भी बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।,

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कन्हैया-कन्हैया, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब पुकारा करेंगे, लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे |कहीं तो मिलेंगे, वो बाँके-बिहारी |उन्हीं के चरण चित लगाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||1||बनाकर के हृदय में, हम प्रेम-मन्दिर |वहीं उनको झूला झुलाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||2||उन्हें हम बिसाएंगे, आँखों में दिल में |उन्हीं से सदा लौ लगाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||3||जो रूठेंगे हम से, वो बाँके-बिहारी |चरण पड़ उन्हें हम मनाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||4||उन्हें प्रेम-डोरी से, हम बाँध लेंगे |तो फिर वो कहाँ भाग जाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||5||जिन्होंने छुड़ाए थे, गज के वो बंधन |वही मेरे संकट मिटाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||6||उन्होंने नचाए थे, ब्रह्मांड सारे |मगर अब उन्हें हम नचाया करेंगे ||कन्हैया-कन्हैया, पुकारा करेंगे |लताओं में ब्रज की गुजारा करेंगे ||7||जय बिहारी जी की श्री हरिदास🌹🕉️ जय श्री राधे कृष्णा 🕉️🌹,

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📢*ग्रुप पर पोस्ट करने से पहले ग्रुप के नियम जरूर पढ़े जी By समाजसेवी वनिता कासनियां👆कृष्ण भक्ति Bal Vnita mahila ashram ग्रुप पर आप सभीभक्तों का बहुत-बहुत स्वागत जी🙏🙏👆ग्रुप पर आप सभी मेंबर अपने मित्रों को जरूर जोड़े 👆ग्रुप पर सभी की पोस्ट पर लाइक कमेंट जरुर करें जी👆ग्रुप पर धार्मिक कथा कहानी भी पोस्ट करें👆ग्रुप पर धार्मिक वीडियो पोस्ट करे👆ग्रुप पर गलत पोस्ट गलत कमेंट करने पर आपको ग्रुप में ब्लॉक किया जाएगा जी👆ग्रुप पर आप सभी महिला मित्रों कासम्मान करें जी👆स्टीकर कमेंट बिना क्रॉप की हुई पोस्ट दूसरेग्रुप की पोस्ट डायरेक्ट शेयर बिल्कुल भी 👆ना करें जी आप सभी से रिक्वेस्ट है हमारी👆धन्यवाद जी🙏🙏,

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#अभिलाषा_नित्त_बरसानौ_वास_मिलै 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 एक अभिलाष नित्त वास बरसानौ मिलै, गाऊँ गुणगान बृषभान सुता भोरी कौ।।महल टहल बृज वास हो अचल प्यारी, गहवर कौ रास लखि प्राणधन जोरी कौ।।मान कर बैठी प्यारी मोर बन आये स्याम, संकरी गली मे दान मटकी की फोरी कौ।।यही अभिलाष कहै माधव बसाय राखौ, नाम रूप लीला धाम कीरति किशोरी कौ।।💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 💕 श्री लाडली लाल सरकार की जय हो। श्री राधा गोविंद लाडली लाल सरकार की जय हो आप सभी भक्त जन व रसिक जनौ को प्रेम भरी राधे राधे 🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹,

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हर खुशी है मगर,इक कमी रह गईमेरे पलको‌ में प्यारे ,नमी रह गईतेरी महफ़िल में खुल के वो‌ kahti हूं मैबात जो‌ दिल की दिल में दबी रह गई,By #समाजसेवी_वनिता_कासनियां_पंजाब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,. ,,,,,,,,,,,,,,. ,,,,,,,,,,मुझको अगर तु #फुल बनाता ,ओ सांवरे 3मंदिर मैं तेरा, मंदिर मैं तेरा ओ #सांवरे मंदिर मैं रोज सजाता, ओ सांवरेतेरा ज़िक्र #इत्र का तेरी बातें इत्र की तेरी बात इत्र की सांवरे, तेरी बात इत्र की मंदिर में तेरे होती है बरसात इत्र की छींटा कोई तो मुझपे भी ,पाता ओ सावरे मंदिर मैं तेरा रोज सजाता,,,,,मेरे श्याम काम आता मैं तेरे श्रृंगार में तेरे श्रृंगार में सांवरे तेरे श्रृंगार मेंतेरे भक्त पिरोदेते मुझे ,तेरे हार मे‌मुझको गले तू रोज लगाता, ओ सांवरेमंदिर मैं तेरा रोज सजाता ओ सांवरेबनके गुलाब कांटों में रहना कुबुल हैरहना कुबुल है सांवरे ‌रहना कुबुल हैकिस्मत में मेरी गर तेरे चरणों की धुल है *संदीप* सर न दर से उठाता ओ सांवरे चरणों से तेरे सर न उठाता ओ सांवरेमंदिर तेरा रोज #सजाता ओ सांवरेश्री Vnita Kasnia Punjab द्वारा रचित🏵️🍁 *।। भजन गंगा ।।* 🍁🏵️🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼,

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103।। #भजन गंगा ।। By #समाजसेवी_वनिता_कासनियां_पंजाब खाटु हालो #श्याम धनी कयु#रिमझिम रिमझिम आख्या से#खाटु हालो श्याम धनी कयुं, जी जलावै रेबेगो बेगो आजा तेरा दास बुलावै रैखाटू हाला श्याम धनी,,,#घट घट वासी श्याम सलोना ,थांस छानी नायसबर नहीं अब कृष्ण मुरारी,कालजडे़ रे मायहुक उठे मारे किलकारी, क्यों ना आवै रेबेगो बेगो आजा तेरा दास बुलावै रै ।।मन विचलित बैठयो सुध खो के ,लेवे थारो नामथे ही टेक राखजयो बाबा,जो होवै अंजामदिन दिन करता दुरी महासू ,कयु बढा़वै रेबेगो बेगो आजा तेरा दास बुलावै रै ।।देर करें मतना नटनागर आज्या बेगो आदास लगे ना लाक्षन माहीं,आके लाज बचाप्रीत घनेरी *#माधव* थासे,कयु घटावे रेबेगो बेगो आजा तेरा दास बुलावै रै 🍁🔆 *।। #श्री #श्याम #वंदना ।।* 🔆🍁🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼,

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474 ।।#भजन गंगा।। क्युं सजते हो #कन्हैया तर्ज .. By #समाजसेवी_वनिता_कासनियां_पंजाब जगत के रंग क्या देखूंक्यूं सजते हो कन्हैया तुम तेरा दीदार काफी है हमें दिवाना करने को नजर का वार काफी है कयु सजते हो ........कया उबटन #केशरी जलवा-क्यों चंदन से सजे हो तुम..2कि बृज की धुल में जुसरित ,तेरा श्रृंगार काफी है कयु सजते हो कन्हैया तुम..........कयुं माथे स्वर्ण मानक और - बहुमुलक मुकुट राखो..2वो घुंघराले घने केशव , ये मोर की पांख ही काफी है कयुं सजते हो कन्हैया तुम.........कयु चम्पा मोगरा जुही-बैजन्ती माल गल पेहरो..2श्री राधा जु की बहियन का ,तेरे गल हार काफी है कयु सजते हो कन्हैया तुम...........ना छप्पन भोग की तृष्णा- तुम्हें हरगिज नहीं कान्हा..2तुम्हें तो तृप्त करने को ,एक तुलसी सार काफी है क्यूं सजते हो कन्हैया तुम ............हो मोहक श्यामवर्णी तुम -हो नामा रूप घनश्यामा,,2तेरी कृपा को बरसाने ,को मन मल्हार काफी है कयु सजते हो कन्हैया तुम ..........कभी उर में हुआ गुंजन- कहे कान्हा सुनले *पवन* ..2मैं तो बस भावना देखूं,मुझे तो बस प्यार काफी है कयु सजते हो कन्हैया तुम ,, 🍁☘️ *।। भजन गंगा ।।* ☘️🍁🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼🔆🌼,,

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*🌹🌹ओम नमः शिवाय 🌹🌹बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी।सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा।सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है, तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए।एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रितकर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की।साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी।दोपहर का समय था। सेठ ने कहाः “महाराज! अभी आराम कीजिए। थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा।साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली।सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी।साधु बाबा आराम करने लगे।खीर थोड़ी हजम हुई। साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं, एक-दो उठाकर झोले मेंरख लूँ तो किसको पता चलेगा?साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली।शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े।सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी (दस हजार रुपये) कम निकली।सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे, वे क्यों लेंगे?नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी। ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी।इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोलेः “नौकरों को मतपीटना, गड्डी मैं ले गया था।”सेठ ने कहाः “महाराज! आप क्यों लेंगे? जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब कोई भय के मारे आपको देगया होगा । और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है।”साधुः “यह दयालुता नहीं है। मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था।साधु ने कहा सेठ….तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी?”सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ, उसी चावल की खीर थी।साधु बाबाः चोरी के चावल की खीर थी इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया। सुबहजब पेट खाली हुआ, तेरी खीर का सफाया हो गया तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि ‘हे राम…. यह क्या हो गया?’मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी । इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया।By *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌷🌷🙏🙏🌷🌷 इसीलिए कहते हैं कि….जैसा खाओ अन्न … वैसा होवे मन।जैसा पीओ पानी …. वैसी होवे वाणी।जैसी शुद्धी….वैसी बुद्धि…जैसे विचार … वैसा संसारचरण में रखना, शरण में रखना..हरदम तेरी ही लगन में रखना.!सुख के उजाले हों, दु:ख के अँधेरे,जो भी हो अपनी, मगन में रखना.!साँसों की माला, सुमिरन के मोती..मन नहीं भटके, जपन में रखना.!पलकें जो मूंदूँ, ठाकुर तेरे हों दर्शन,💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹💎🌹*

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. 'माखन चोर' (Vnita punjab) एक दिन ठाकुर जी ने ग्वालबालो से कहा की आज तो हम प्रभा काकी के यहाँ माखन चोरी करने चलेंगे। एक ग्वारिया ने कहा की लाला फिर तो आज हम एकादशी करेंगे, ठाकुर जी बोले क्यों ? ग्वारिया बोला लाला तुझे पता नही है प्रभा गोपी कैसी है। एक हाथ कमर पे पड़ जावे तो पाँच दिन तक गर्म नमक का सेक करना पड़ता है। ठाकुर जी बोले तुझे कैसे पता ? ग्वारिया बोला मैं उसका पति हूँ, भुगत भोगी हूँ। ठाकुर जी बोले तू उसका पति है तो हमारी मण्डली में क्या कर रहा है ? ग्वारिया बोला मुझे भी खाने को कुछ देती नही तो मुझे भी तुम्हारी मण्डली में आना पड़ा। ठाकुर जी कहते हैं, 'मैंने तो आज तय कर लिया, में तो प्रभावती गोपी के यहाँ, जाऊँगा, सो जाऊँगा।' गोपियाँ मैया से शिकायत बहूँत करती थी, तो मैया ने ठाकुर जी के पग में नुपुर पहना दिए, और गोपियाँ से कहा की जब मेरा लाला तुम्हारे यहाँ माखन चोरी करने आवेगा, तो घुघरूँ की छम-छम की आवाज आयेगी, तब तुम लाला को पकड लेना। ठाकुर जी देखा की गोपी के घर के बाहर गोबर पड़ा है, ठाकुरजी उस गोबर में दोनों पैर डाल कर जोर जोर से कूदे तो घुँघुरु में गोबर भर गया, और आवाज आना बन्द हो गयी। अब ठाकुर जी धीरे-धीरे पाँव धरते हूँए, दोनों हाथ मटकी में ड़ाल कर माखन खाने लगे। प्रभा गोपी पीछे ही खड़ी थी, और पीछे से आकर ठाकुर जी को पकड़कर बोली, 'ऐ धम्म' ठाकुरजी बोले, 'रे ये कौन आ गयी', पीछे मुड़ के देखे तो गोपी ! ठाकुर जी बोले, 'ओ गोपी तुम।' गोपी बोली, 'रे चोर कहीं के, चोरी करने आया।' ठाकुर जी बोले, 'मैंने चोरी कहा की, नहीं मैं चोरी करने नही आया, मैं तो मेरे घर आया।' गोपी बोली, 'ये तेरा घर है, जरा देख तो ?' ठाकुरजी ने ऐसी भोली-सी शक्ल बनाई, और इधर उधर देख के बोले, 'अरे सखी क्या करूँ मुझे तो कुछ खबर ही नही पड़ती, क्या बताऊँ दिन भर गैया चराता हूँ, और श्याम को बाबा के साथ हथाई पे जाता हूँ, इतना थक जाता हूँ की मुझे तो खबर ही नही पड़ती, की मेरा घर कौन-सा, तेरा घर कौन-सा। कोई बात नही गोपी तू भी तो मेरी काकी है, तेरा घर सो मेरा घर, तेरा घर सो मेरा घर।' गोपी बोली, 'रे कब से तेरा घर सो मेरा घर बोले जा रहा है, एक बार भी ये नही कहें की मेरा घर सो तेरा घर, बड़ा चतुर है, चोरी करता है ?' ठाकुरजी बोले सखी, मैंने चोरी नही की।' गोपी बोली, 'लाला अगर तूने चोरी नही की तो तेरे हाथों पे माखन कैसे लग गयो ?' ठाकुर जी बोले, 'सखी वो तो मैं भीतर आयो तो देखा की मटकी पे चींटियाँ चिपक रही है, तो मैंने सोचा की मेरी मैया को सूजे ना है ! संध्या के समय मैया माखन के संग-संग चींटियाँ परोस देगी ! सो माखन से चींटियाँ निकालीं तो हाथों पर माखन लग गयो। बाकि मैंने खाया तो नही।' सखी बोली, 'लाला तू ने खाया नही तो तेरे मुख पे कैसे लग गयो ?' ठाकुरजी बोले, 'सखी मैं तो ठहरो सीधो पर एक चींटी तेरे जैसी चंचल थी, वो मेरे जंघा पे चढ़ गयी, मैंने कछु ना कियो, फिर वो मेरे पेट पे चढ़ी, मैंने कछु ना कियो, जब वो मेरे मुख पे चढ़ी तो खुजली होने लगी, तकब खुजली करते हुए माखन मुँह पे लग गयो, बाकि मैंने खाया तो नहीं।' गोपी बोली, 'आज में तोहे छोड़ने वाली नही हूँ।' ठाकुरजी बोले, 'सखी मोहे जाने दे, सखी मोहे छोड़ दे, सखी अब कभी चोरी नही करूँगा।' सखी तेरी कसम, सखी तेरे बाबा की कसम, सखी तेरे भैया की कसम, सखी तेरे फूफा की कसम, सखी तेरे फुआ की कसम, सखी तेरे मामा की कसम, सखी तेरे खसम की कसम, अब कभी चोरी नही करूँगा।' गोपी बोली, 'रे मेरे रिश्तेदरो को ही मार रहा है, एक, दो, तो तेरे भी नाम ले।' मन-ही-मन गोपी ठाकुरजी की इस अद्भुत लीला को देखकर आनन्दित हो रही है। सोच रही है, 'मेरे अहोभाग्य जो आज ठाकुरजी मेरे घर पधारे अपने हाथों से भोग लगाने के लिये।' ठाकुरजी की कोमल वाणी से गोपी को दया आ गई की छोटो सो लालो है शायद घर भूल गया होगा, और ठाकुर जी बच निकले। ऐसे कौतुक करते हैं ठाकुरजी गोपियाँ को सुख पहुँचाने के लिये। ----------:::×:::---------- "जय जय श्री राधे"******************************************* "श्रीजी की चरण सेवा" की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें तथा अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें👇 (Vnita kasnia Punjab)

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गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत (Vnita kasnia Punjab)गुरु मेरा देव अलख अभेव सरब पूज्य, चरण गुरु सेवू ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु बिन अवर नहीं मैं थाओ अन दिन जपो, गुर गुर नाओ ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु मेरा ग्यान, गुरु रिदे धयान गुरु गोपाल पुरख भगवान् ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु की सरन रहूँ कर जोर गुरु बिना मैं नाही होर ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु बोहित तारे भव पार गुरु सेवा ते यम छुटकार ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ अन्धकार में गुरु मन्त्र उजारा गुरु कै संग सगल निस्तारा ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु पूरा पाईये वडभागी गुरु की सेवा दुःख ना लागी ॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥ गुरु का सबद ना मेटे कोई गुरु नानक नानक हर सोए गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत.

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मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना, (Vnita kasnia Punjab) गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना।करूणानिधि नाम तेरा, करुन दिखलाओ तुम, सोये हुए भाग्यो को, हे नाथ जगाओ तुम। मेरी नाव भवर डोले इसे पार लगा देना, गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा॥तुम सुख के सागर हो, निर्धन के सहारे हो, इस तन में समाये हो, मुझे प्राणों से प्यारे हो। नित्त माला जपूँ तेरी, नहीं दिल से भुला देना, गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥पापी हूँ या कपटी हूँ, जैसा भी हूँ तेरा हूँ, घर बार छोड़ कर मैं जीवन से खेला हूँ। दुःख का मार हूँ मैं, मेरा दुखड़ा मिटा देना, गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥मैं सब का सेवक हूँ, तेरे चरणों का चेरा हूँ, नहीं नाथ भुलाना मुझे, इसे जग में अकेला हूँ।तेरे दर का भिखारी हूँ, मेरे दोष मिटा देना,गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥इन चरनन की पाऊं सेवा,जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।

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सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में।हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में। (Vnita kasnia Punjab)हृदय में माँ गौरी लक्ष्मी, कंठ शारदा माता है।जो भी मुख से वचन कहें, वो वचन सिद्ध हो जाता है।हैं गुरु ब्रह्मा, हैं गुरु विष्णु, हैं शंकर भगवान आपके चरणो में।हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।जनम के दाता मात पिता हैं, आप करम के दाता हैं।आप मिलाते हैं ईश्वर से, आप ही भाग्य विधाता हैं।दुखिया मन को रोगी तन को, मिलता है आराम आपके चरणो में।हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।निर्बल को बलवान बना दो, मूर्ख को गुणवान प्रभु।देवकमल और वंसी को भी ज्ञान का दो वरदान गुरु।हे महा दानी हे महा ज्ञानी, रहूँ मैं सुबहो-शाम आपके चरणो में।हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।कर्ता करे ना कर सके, पर गुरु किए सब होये।सात द्वीप नौ खंड मे, मेरे गुरु से बड़ा ना कोए॥सब धरती कागज़ करूँ, लेखनी सब वनराय।समुद्र को स्याही, पर गुरु गुण लिख्यो ना जाए॥सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में।हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में।

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दर्शन देता जाइजो जी, सतगुरु मिलता जाइजो जी। (Vnita punjab)म्हारे पिवरिया री बातां थोड़ी म्हने,केता जाइजो जी॥सोने जेडी पीळी पड़ गई, दुनिया बतावे रोग। रोग दोग म्हारे काई नी लागे, गुरु मिलण रो जोग॥म्हारे भाभे म्हने बींद बतायो,पकड़ बताई बाँह। कांई कहो में कांई न समझू,जिव भजन रे माय॥म्हारे देश रा लोग भला है, पेहरे कंठी माला। म्हारा लागे वे भाई-भतीजा, राणाजी रा साला॥ सासरियो संसार छोडियो, पीव ही लागे प्यारो। बाई मीरा ने गिरधर मिलिया,चरण कमल लिपटायो॥

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गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है, (Vnita punjab)तू ही मेरी नाव का माझी, तू ही मेरी नाव का माझी, तू ही पतवार है, गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है।। तर्ज – थोड़ा सा प्यार हुआ है। हो अगर अच्छा माझी, नाव फिर पार होती, किसी की बीच भवर में, फिर न दरकार होती, अब तो तेरे हवाले, मेरा घर-बार है, गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है।।मैंने अब छोड़ी चिंता, तेरा जो साथ पाया, तुझको जब भी पुकारा, अपने ही पास पाया, पूरा परिवार ये मेरा, तेरा कर्जदार है, गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है।।मुझको अपनों से बढ़कर, सहारा तूने दिया है, जिंदगी भर जीने का, गुजारा तूने दिया है, मुझ पर तो गुरुवर, तेरा बड़ा उपकार है, गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है।।गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है, तू ही मेरी नाव का माझी, तू ही मेरी नाव का माझी, तू ही पतवार है, गुरूजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है।।

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